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ध्यानम्  माधवोमाधवावीशौ  सर्वसिद्धिविधायिनौ  वन्दे परस्परात्मानौ  परस्परनुतिप्रियौ  गोविन्द  माधव  मुकुन्द  हरे  मुरारे   शंभो  शिवेश  शंकर  शशिशेखर  शूलपाणे   दामोदर  अच्युत  जनार्दन  वासुदेव   त्याज्या भटा  य  इति  संततमामनन्ति    (1) गङ्गाधर  अन्धकरिपो  हर  नीलकण्ठ   वैकुण्ठ  कैटभरिपो  कमठाब्ज  पाणे   भूतेश  खण्डपरशो  मृड  चण्डिकेश त्याज्या भटा  य  इति  संततमामनन्ति    (2) विष्णो  नृसिंह  मधुसूदन  चक्रपाणे   गौरीपते  गिरिश  शंकर  चन्द्रचुड   नारायण  असुरनिबर्हण  शार्ङ्गपाणे   त्याज्या भटा  य  इति  संततमामनन्ति    (3) मृत्युञ्जयोग्र  विषमेक्षण  कामशत्रो   श्रीकान्त  पीतवसनांबुदनील  शौरे   ईशान  कृत्तिवसन  त्रिदशैकनाथ   त्याज्या भटा  य  इति  संततमामनन्ति    (4) लक्ष्मीपते  मधुरिपो  पुरुषोत्तमाद्य श्रीकण्ठ  दिग्वसन  शान्त  पिनाकपाणे   आनन्दकन्द  धरणीधर  पद्मनाभ   त्याज्या भटा  य  इति  संततमामनन्ति    (5) सर्वेश्वर  त्रिपुरसूदन  देवदेव   ब्रह्मण्यदेव  गरुडध्वज  शङ्खपाणे   त्र्यक्षोरगाभरण  बालमृगान्कमौले   त्याज्या भटा 
नमस्ते  सिद्धसेनानी  आर्ये  मन्दरवासिनि  कुमारि  कालि कापाली  कपिले क्रुष्ण-पिङ्गले    ॥१॥ भद्रकालि  नमस्तुभ्यम्  महाकाली  नमोSस्तु  ते चंडिचंडे   नमस्तुभ्यम्     तारिणि   वरवर्णिनि      ॥२॥  कात्यायनि  महाभागे  करालि  विजये  जये  शिखिपिच्छ ध्वज-धरे नाना-भरण-भूषिते          ॥३॥ अट्टशूल  प्रहरणे  खड्गखेटधारिणि गोपेन्द्रस्यानुजे  ज्येष्टे  नन्दगोपकुलोद्भवे           ॥४॥ महिषासृक्प्रिये  नित्यं  कौशिकि  पीतवासिनि अट्टहासे  कोकमुखे  नमस्तेSस्तु  रणप्रिये         ॥५॥ उमे  शाकम्बरी  श्वेते  कृष्णे  कैटभनाशिनि  हिरण्याक्षि  विरूपाक्षि  सुधूम्राक्षि  नमोSस्तु  ते ॥६॥ वेदश्रुति  महापुण्ये  ब्रह्मण्ये  जातवेदसि  जम्बूकटकचैत्येषु  नित्यं  सन्निहितालये             ॥७॥ त्वं  ब्रह्म-विद्या- विद्यानां  महानिद्रा च  देहिनाम् स्कन्दमातर्भगवति  दुर्गे  कान्तारवासिनि           ॥८॥ स्वाहाकार: स्वधा  चैव  कला  काष्ठा  सरस्वती   सावित्री  वेदमाता  च  तथा  वेदान्त  उच्यते       ॥९॥ स्तुतासि   त्वं  महादेवि  विशुद्धेनान्तरात्मना जयो  भवतु  मे  नित्यं  त्वत्प्रसादाद्रणाजिरे